शहद उत्पादन: 8 घंटे में 500 किलो शहद की प्रोसेसिंग व पैकेजिंग कर रहीं महिलाएं
महाराष्ट्र, यूपी और एमपी तक सप्लाईशहद उत्पादन:8 घंटे में 500 किलो शहद की प्रोसेसिंग व पैकेजिंग कर रहीं महिलाएं; महाराष्ट्र, यूपी और एमपी तक सप्लाईशहद उत्पादन:8 घंटे में 500 किलो शहद की प्रोसेसिंग व पैकेजिंग कर रहीं महिलाएं; महाराष्ट्र, यूपी और एमपी तक सप्लाई
कबीरधाम जिले के बांधाटोला (बोड़ला) में शहद प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित है। इसका संचालन स्व-सहायता समूह की महिलाएं कर रहीं हैं। शहद की बॉटलिंग से लेकर पैकेजिंग का जिम्मा महिलाओं पर है। यहां उत्पादित शहद की मिठास महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में पहुंच चुकी है।
इसे ध्यान में रखते हुए शहद उत्पादन को बढ़ाने के लिए महिलाओं को विशेष ट्रेनिंग देने वन विभाग ने व्यवस्था की है। हाल ही में पुणे (महाराष्ट्र) से विशेष विशेषज्ञों को बुलाए थे। विशेषज्ञों की टीम ने समूह की महिलाओं को मशीन संचालन के बारे में ट्रेनिंग दी। यह ट्रेनिंग 29 अप्रैल से 1 मई तक चली। इस दौरान मशीनों का किस तरह से बेहतर संचालन करते हुए शहद उत्पादन को बढ़ाएं, इस पर तकनीकी जानकारी दी। बताया कि केंद्र में जो मशीन लगी है, उससे सिर्फ 8 घंटे में 500 किलोग्राम शहद की प्रोसेसिंग की जा रही है।
तैयार होते हैं 3 तरह के शहद
बोड़ला स्थित शहद प्रोसेसिंग यूनिट में उत्पादित शहद हर्बल और ऑर्गेनिक होता है। जिले में मौसम और पेड़ों की प्रजातियों के अनुसार 3 प्रकार के शहद तैयार किया जाते हैं। जिन पेड़ों पर मधुमक्खियों के छत्ते से शहद निकाले जाते हैं, उसे उसी नाम से जाना जाता है। अप्रैल से जून के बीच साल शहद, मई से जून के बीच करंज शहद और नवंबर से मार्च तक महुआ शहद यहां मिलता है।
गांवों से पहुंचता है कच्चा शहद : डीएफओ शशि कुमार ने बताया कि जिले के जंगल क्षेत्र के कई गांवों से प्रोसेसिंग केंद्र में कच्चा शहद पहुंचता है। इसके बाद कई प्रक्रियाएं होती हैं, तब जाकर शहद खाने योग्य तैयार होता है। इनके संचालन का जिम्मा महिला स्व-सहायता समूह को सौंपा गया है, जो प्रोसेसिंग से लेकर बॉटलिंग व पैकेजिंग का काम करती हैं।