छत्तीसगढ़ में मां कौशल्या की गोद में विराजते हैं रामलला:ननिहाल चंदखुरी में 8वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण; अब यहां उत्सव की तैयारी
चंदखुरी मंदिर परिसर में भगवान राम अपनी माता की गोद में बाल रूप में विराजमान हैं।
अयोध्या से करीब 786 किमी दूर भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में भी महोत्सव मनाने की तैयारी है। यहां स्थित कौशल्या धाम देश का इकलौता मंदिर है, जहां भगवान राम बाल रूप में अपनी मां की गोद में विराजमान हैं। मंदिर का जलसेन तालाब के बीचो बीच बना है। इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था।
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन कौशल्या धाम में मानस ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस यज्ञ में श्रद्धालु भी शामिल हो सकेंगे। इसके बाद भंडारे का आयोजन होगा। मंदिर समिति के सदस्यों की ओर से श्रद्धालुओं को 22 जनवरी को कौशल्या धाम पहुंचने और माता के दर्शन के लिए निमंत्रित किया जा रहा है।
इतिहासकारों के अनुसार, चंदखुरी (चंद्रपुरी) गांव को माता कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है। महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ था। विवाह में भेंट स्वरूप राजा भानुमंत ने बेटी को 10 हजार गांव दिए थे। इसमें चंद्रपुरी भी शामिल था।
मिल था।
राम के राज्यभिषेक के बाद पहुंची थीं तीनों माताएं
भगवान राम के वनवास से आने के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया। मान्यता है कि, उसके बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी तपस्या के लिए चंदखुरी पहुंचीं और तालाब के बीच विराजित हो गईं। कहा जाता है कि, बाद में किसी बात से सुमित्रा और कैकयी रूठ कर चली गईं, लेकिन माता कौशल्या आज भी यहां विराजमान हैं।
सोमवंशी राजाओं ने कराया था मंदिर निर्माण
कौशल्या मंदिर जलसेन तालाब के बीच में बना हुआ है, जो 8वीं-10वीं शताब्दी का है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में सोमवंशी राजाओं ने करवाया था। मंदिर को कई बार क्षतिग्रस्त किया गया और कई बार निर्माण हुआ। 1973 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया।
कौशल्या मंदिर में दशरथ दरबार की झलकी
सोमवंशी राजाओं की बनवाई गई मूर्तियां आज भी मंदिर में स्थापित हैं। मंदिर में राजा दशरथ के दरबार का निर्माण किया गया है। यहां दरबार में दशरथ के साथ ही उनकी तीनों रानियां और मंत्रिमंडल के सदस्य भी हैं। वहीं दरबार के बीच में भगवान राम अपने भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के साथ बाल लीला कर रहे हैं।
सुखैन वैद्य, समुद्र मंथन और शिव-नंदी भी
मंदिर परिसर में दशरथ दरबार के पास सुखैन वैद्यराज की समाधि बनाई गई है। समिति के सदस्यों का कहना है कि राम-रावण युद्ध में लक्ष्मण को शक्ति लगी थी, तब सुखैन वैद्यराज ने संजीवनी बूटी से लक्ष्मण को ठीक किया था। इसी बात को ध्यान में रखकर वैद्यराज की समाधि बनाई गई है।
हनुमान पुल को पार करके पहुंचते हैं मंदिर
इसके अलावा मंदिर परिसर में भगवान शिव, नंदी के साथ विराजमान है। तालाब के बीचो-बीच समुद्र मंथन की मूर्ति लगाई गई है। कौशल्या धाम 25 से 30 एकड़ में फैला हुआ है। श्रद्धालुओं को एंट्री गेट से हनुमान पुल पैदल चलकर मंदिर परिसर तक पहुंचना पड़ता है। यहां भगवान राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा भी लगाई गई है।
15 करोड़ की लागत से मंदिर का जीर्णोद्धार
- रायपुर से चंदखुरी करीब 26 किमी दूर है। यहां कांग्रेस सरकार ने ‘राम वन पथ गमन योजना’ बनाकर विकास कार्य शुरू किए थे।
- मंदिर जीर्णोद्धार के लिए 15 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए। इससे मंदिर परिसर का कायाकल्प किया गया है।
- इसी तरह से छत्तीसगढ़ में ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ’ परियोजना के तहत 137 करोड़ 45 लाख कांग्रेस सरकार ने स्वीकृत किया था।
- इस योजना के तहत सीतामढ़ी-हरचौका रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंदखुरी, राजिम, सप्तऋषि आश्रम, जगदलपुर और रामाराम के कुछ हिस्सों में काम जारी है।
- राजस्थान से मंगवाए गए मार्बल को इंटरलॉकिंग की मदद से जोड़ा जा रहे हैं।
- परिसर में बने तालाब किनारे श्रद्धालुओं के बैठने का इंतजाम किया गया है।
- मंदिर में चिकित्सा से लेकर प्रसाधन सुविधा होगी। बाथरूम, यूरिनल्स और ओपनटैप बनाया गया है।
- इसके अलावा बिजली सप्लाई के लिए मंदिर परिसर के बाहर ट्रांसफर लगाया गया है।
5100 दीपकों से मंदिर होगा रौशन
मंदिर समिति के उपाध्यक्ष रामस्वरुप वर्मा ने बताया, कि 22 जनवरी को कौशल्या मंदिर में 5100 दीपकों की रोशनी से रोशन होगा। मंदिर में कार्यक्रम का आयोजन प्रभात फेरी से होगा। प्रभात फेरी के बाद मानस कार्यक्रम का आयोजन और यज्ञ हवन किया जाएगा। यज्ञ हवन के साथ ही मंदिर परिसर में महाप्रसाद वितरण का आयोजन भी किया जाएगा। 22 जनवरी को कौशल्या धाम में 15 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को आने की संभावना है। इन संभावनाओं के मद्देनजर तैयारी की जा रही है।
महाप्रसाद में ये किया जाएगा वितरित
महाप्रसाद में पूडी-सब्जी, मिठाई, फल, कच्ची गरी, इलायची दाना और मूंगफली के दानों का मिश्रण दिया जाएगा। संभावित श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से इसको तैयार करवाया जाएगा। उत्सव का आयोजन सुबह 6 बजे से शुरू होगा, जो देर रात तक चलेगा।
मंदिर जीर्णोद्धार के बाद हुआ श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा
पर्यटन मंडल की मीडिया प्रभारी अनुराधा दुबे ने बताया कि मंदिर समिति से मिली जानकारी के मुताबिक, जीर्णोद्धार से पहले वीकेंड के दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या डेढ़ से दो हजार होती थी। अब बढ़कर पांच से छह हजार पहुंच गई है। वहीं पर्व पर श्रद्धालु तीन गुना बढ़े हैं और संख्या 12 से 15 हजार हो गई है।
वर्तमान सरकार धार्मिक पर्यटन को दे रही बढ़ावा
छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने ‘शक्ति पीठ’ योजना शुरू कर रही है। घोषणापत्र के अनुसार, 5 शक्ति पीठों का चयन कर उन्हें चार धाम की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। वहीं राम वन गमन परिपथ पर चल रहा काम जारी रहेगा। बताया जा रहा है कि बीजेपी सरकार में इसका खाका तैयार किया गया था, लेकिन योजना असितत्व में नहीं आ पाई।
कांग्रेस सरकार इस योजना को अस्तित्व में लेकर आई, और इसके तहत मंदिर का जीणोद्धार और राम वन पथ गमन का निर्माण किया जा रहा है। बीजेपी की साय सरकार में इस योजना को नए तरीके से बनाने की तैयारी है। पर्यटन मंडल के अधिकारियों के अनुसार राम वन पथ गमन मार्ग में पड़ने वाले कुछ और नए धार्मिक स्थलों को डेव्हलप करके योजना से जोड़ा जाएगा।
इससे स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही प्रारंभिक तौर पर मां बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़, दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा, महामाया मंदिर रतनपुर, चंद्रहासिनी मंदिर जांजगीर-चांपा और कुदरीगढ़ मंदिर सूरजपुर के कायाकल्प के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। पर्यटन मंत्री के सामने इसे रखा जाएगा। उनकी स्वीकृति मिलने के बाद प्रस्ताव केंद्र को भेजेंगे।
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