Breaking News : नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव फरवरी या मई तक टल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, कुशाभाऊ ठाकरे प्रदेश कार्यालय में गुरुवार देर रात तक चली बैठक में चुनाव की संभावित तारीखों को लेकर चर्चा हुई। बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, प्रदेश अध्यक्ष किरण देव और संगठन महामंत्री पवन साय समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
चर्चा के दौरान यह तय किया गया कि यदि प्रशासकीय कार्य 10 जनवरी तक पूरे हो जाते हैं तो चुनाव फरवरी में कराए जाएंगे। अन्यथा, परीक्षाओं के चलते चुनाव मई तक टाल दिए जाएंगे।
परीक्षाओं के कारण बढ़ सकती है देरी
प्रदेश में पहली बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव, कार्यकाल समाप्त होने के बाद होंगे। 3 जनवरी से 14 नगर निगमों में महापौर के स्थान पर प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। सबसे पहले राजनांदगांव और भिलाई चरौदा नगर निगमों का कार्यकाल समाप्त होगा।
10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 1 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च तक चलेंगी। शिक्षा विभाग 15 फरवरी से परीक्षा तैयारियों में जुट जाएगा। चुनाव प्रक्रिया में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की बड़ी भूमिका होती है, इसलिए फरवरी से पहले चुनाव संभव नहीं हैं।
संशोधन विधेयक और अध्यादेश लाने की तैयारी
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नगर निगम चुनाव छह महीने के भीतर करवाने के लिए विधेयक पारित करवा लिया है। पंचायत चुनाव के लिए उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा अध्यादेश लाने वाले हैं। विधानसभा में नगर निगम संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया, जिसका कांग्रेस विधायकों ने विरोध करते हुए बहिष्कार किया।
1000 करोड़ की अधोसंरचना योजनाएं
नगर निगमों में अधोसंरचना कार्यों के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। अनुपूरक बजट में 200 करोड़ रुपये और जोड़े गए हैं। भाजपा ने इसे “अटल निर्माण वर्ष” के रूप में मनाने की योजना बनाई है। प्रशासक नियुक्ति के बाद सभी विकास कार्य भाजपा शासन के अंतर्गत गिने जाएंगे, जो चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
निकाय चुनाव टालने के पीछे सियासी रणनीति
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के महापौरों की जगह प्रशासकों के बैठने के बाद भाजपा निगमों के कामकाज को अपनी उपलब्धि के रूप में दिखाने की रणनीति बना रही है। इसी कारण चुनावों में देरी की संभावना पर भी चर्चा हो रही है। छत्तीसगढ़ में इन चुनावों के परिणाम न केवल स्थानीय शासन बल्कि प्रदेश की सियासत को भी प्रभावित करेंगे।