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12 नए सर्विलांस विमान वायुसेना में होंगे शामिल:300 डिग्री तक होगी रडार कवरेज; बॉर्डर पर निगरानी बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय का फैसला

चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर हवाई निगरानी बढ़ाने के लिए 12 नए सर्विलांस विमान तैयार करने पर विचार किया जा रहा है। ये एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) एयरक्राफ्ट होंगे। इससे चीन और पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन में वायु सेना के फाइटर जेट को मदद मिलेगी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, DRDO और भारतीय वायुसेना 6 मार्क-1A विमान को वायुसेना में पहले शामिल करेगा, जिसपर AEW&C सिस्टम लगाए जाएंगे। इसके लिए रक्षा मंत्रालय अगले हफ्ते आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) पत्र भी जारी करेगा। वहीं, इसके बाद 6 मार्क-2 विमान पर सर्विलांस के लिए तैयार किए जाएंगे। ये सभी 12 विमान 2026-27 तक तैयार होकर वायुसेना में शामिल होंगे।

भारत के पास निगरानी के लिए पहले से ही 3 AEW&C एयरक्राफ्ट है, जिसे NETRA एयरक्राफ्ट भी कहा जाता है। मार्क-1 AEW&C एयरक्राफ्ट की रेंज 240 डिग्री होगी। वहीं, मार्क-2 एयरक्राफ्ट की रेंज 300 डिग्री तक होगी। सर्विलांस के लिए ये विमान 400 किलोमीटर तक एरिया कवर करेंगे।

यह मार्क 1A एयरक्राफ्ट है। इस पर ही एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम माउंट किया जाएगा।
यह मार्क 1A एयरक्राफ्ट है। इस पर ही एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम माउंट किया जाएगा।
यह मार्क 2 विमान है। इसपर भी AEW&C सिस्टम माउंट किया जाएगा।
यह मार्क 2 विमान है। इसपर भी AEW&C सिस्टम माउंट किया जाएगा।

नए AEWAC एयरक्राफ्ट की जरूरत क्यों?
भारत फिलहाल पाकिस्तान और चीन से AEW&C के मामले पिछड़ रहा है। हवाई निगरानी के लिए भारत के पास 3 NETRA एयरक्राफ्ट है। इसके अलावा तीन रशियन IL-76 एयरक्राफ्ट है, जिसपर इजराइली फैलकॉन AWAC सिस्टम लगा हुआ है। इन विमानों की रेंज 400 किलोमीटर है और इनका रडार कवरेज 360 डिग्री है। इन्हें 2009-10 में वायु सेना में शामिल किया गया था।

हवाई निगरानी के लिए पाकिस्तान के पास फिलहाल 11 स्वीडिश AEW&C एयरक्राफ्ट और एक चीनी काराकोराम ईगल AWAC एयक्राफ्ट है। वहीं, चीन के पास ऐसे 30 एयरक्राफ्ट हैं। वायुसेना ने निगरानी करने वाले एयरक्राफ्ट की जरूरत सबसे फरवरी 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान महसूस की थी। इसके अलावा पूर्वी लद्दाख में चीन से हुई झड़प के बाद भी वायु सेना उस क्षेत्र में निगरानी बढ़ाना चाहता है।

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एयरफोर्स के बेड़े में शामिल होंगे स्वदेशी विमान: विदेश से फाइटर जेट बनाने की टेक्नोलॉजी लेकर, भारत में निर्माण होगा

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भारतीय वायुसेना अब अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े में विदेशों में बने जेट शामिल नहीं करेगी। वायुसेना इस वक्त 114 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया में है। वायु सेना सूत्रों ने भास्कर को बताया कि इन विमानों को टेक्नोलाॅजी हस्तांतरण के जरिए भारत में ही बनाना होगा। इस डील में अनिवार्यता की स्वीकार्यता यानी एक्सपेंटेंस ऑफ नेसेसिटी (AON) पर रक्षा मंत्रालय की मुहर लगनी बाकी है।

वायु सेना हवा के साथ अब स्पेस में भी: IAF ने नए नाम और काम का प्रस्ताव डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजा, स्पेस डॉक्ट्रिन पहले से तैयार

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इंडियन एयर फोर्स (IAF) ने हवा के साथ-साथ स्पेस में भी ताकत जुटानी शुरू कर दी है। IAF अब स्पेस के सिविल और मिलिट्री दोनों पहलुओं का उपयोग करने के लिए विचार कर रही है, जिसके लिए उसने इंफ्रास्ट्रक्चर और थिओरेटिकल फ्रेमवर्क तैयार किया है। इस नए रोल के लिए IAF ने अपना नाम भी तय कर लिया है- इंडियन एयर एंड स्पेस फोर्स।

Muskan Sharma

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