खीरे में लंबा चीरा… सप्ताहभर सुखाते हैं, कढ़ी बनाकर खाते हैं बैगा आदिवासी
खीरे में लंबा चीरा… सप्ताहभर सुखाते हैं, कढ़ी बनाकर खाते हैं बैगा आदिवासी
- बाड़ी में मक्के के साथ लगाते हैं खीरा
रस्सी और तार पर खीरे को सूखते हुए शायद इससे पहले आपने कभी नहीं देखा होगा। खीरा जिसे हम खाने में सलाद के रूप में उपयोग में लाते हैं। वह खीरा बैगा-आदिवासियों की प्रमुख सब्जियों में से एक है। पंडरिया ब्लॉक के दूरस्थ वनांचल गांवों में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। रस्सी और तारों पर कपड़ों की तरह खीरे सूखते मिलेंगे। ये खीरा की फसल आते ही जितना हो सके, उसे कच्चे में ही बेच लेते हैं। बचे हुए खीरे को लंबा चीरा लगातार तार पर सुखा दिया जाता है। करीब एक सप्ताह में सूखने के बाद फिर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर बैगा आदिवासी रख लेते हैं और फिर सूखे खीरे की कढ़ी बनाकर खाते हैं।
क्षेत्र के बाहपानी, कांदावानी, धुड़सी, छिरपानी, कान्हाखैरो, बांसाटोला, बसूलालूट, सेंदूरखार, आगरपानी समेत सभी बैगा- आदिवासी बाहुल गांवों में इसी तरह तार पर सूखते खीरे देखने को मिल रहा है। स्थानीय लोग बाड़ियों में मक्के साथ खीरा लगाते हैं। अगस्त- सितंबर माह में खीरे तैयार हो जाते हैं। लेकिन इसे पीला होने तक पकाते हैं। इसके बाद इसे सुखाते हैं।